Strange man found in library/पुस्तकालय में अजीब आदमी मिला

   Scroll down for English translation:-



    मेरे नाना किताबें पढ़ने के बहुत शौकीन थे। वह अक्सर अपने दोस्त के साथ शहर के हर छोटे-बड़े लाइब्रेरी में जाते थे। उन्हें पुराने जमाने का इतिहास जानना बहुत पसंद था। वह हमेशा ऐतिहासिक पुस्तक पढ़ते थे। एक दिन मेरे नाना के करीबी दोस्त ने उनसे कहा कि," पास के शहर में एक लाइब्रेरी है जहां बहुत पुरानी-पुरानी किताबें मौजूद है, परंतु वह लाइब्रेरी भी किताबों जितनी ही पुरानी है। लाइब्रेरी वीरान होने के कारण, ज्यादा लोग उस लाइब्रेरी में नहीं जाते हैं।   

      यह सब सुनने के बाद मेरे नाना की उत्सुकता वह लाइब्रेरी में जाने के लिए और बढ़ गई। वह अगले दिन उस लाइब्रेरी में जाने के लिए अपने घर से रवाना हो गए। लाइब्रेरी बाहर से बहुत जुनी पुरानी दिख रही थी, दीवारों पर दीमक और दरारे थे। मेरे नाना ने लाइब्रेरी की सीढ़ी चढ़ी और अंदर गए। अंदर उन्हें काउंटर पर एक जहीफ बुड्ढा दिखाई दिया, जो खुद को वह लाइब्रेरी का 'लाइब्रेरियन' बोल रहा था। मेरे नाना ने उस लाइब्रेरियन से पूछा कि," ऐतिहासिक पुस्तकों का अनुभाग किधर  है"? लाइब्रेरियन ने कहा कि साहब," आगे जाकर दाएं तरफ"। मेरे नाना ने अलमारी से एक पुस्तक निकाली और मेज पर बैठकर पढ़ने लगे।


     थोड़े देर किताब पढ़ने के बाद लाइब्रेरियन ने मेरे नाना को चाय ला कर दिया। मेरे नाना ने सोचा कि चाय पीते पीते लाइब्रेरी की थोड़ी सेर कर लेता हूं। थोड़ा आगे चलते ही मेरे नाना को वैज्ञानिक पुस्तकों का अनुवाद दिखाई दिया। कुर्सी पर एक आदमी बैठा हुआ था, जिसके हाथ में एक अलग चमकती किताब थी और वह उसे बहुत ध्यान से पढ़ रहा था। मेरे नाना ने उस आदमी से कुछ बात नहीं की और वापस अपने जगह पर आकर किताब पढ़ना शुरू करी। मेरे नाना को उस पुस्तकालय से बहुत लगाव होने लगा था। लाइब्रेरी की पुस्तकों को घर लेकर जाने की इजाजत नहीं थी। इसलिए मेरे नाना रोजाना शाम के समय लाइब्रेरी में किताबें पढ़ने जाया करते थे। उन्हें वह आदमी रोज चमकीली किताब पढ़ते हुए दिखता था।


       एक दिन वह आदमी मेरे नाना के सामने के टेबल पर बैठा हुआ था। मेरे नाना ने उससे पूछा कि," भाई साहब आप तो रोज वैज्ञानिक किताबें पढ़ते हैं, आज अचानक ऐतिहासिक अनुभाग में कैसे आ बैठे"? उस आदमी ने मेरे नाना से कहा कि," क्या तुम मुझे कुछ अच्छी-अच्छी ऐतिहासिक किताबों का सुझाव दे सकते हो"? मेरे नाना ने उस आदमी को तीन चार नामचीन ऐतिहासिक किताब पढ़ने दी। उस आदमी ने मेरे नाना को शुक्रिया कहा और उन्हें वह चमकीले किताब दी, और मेरे नाना से कहा कि, "घर जाकर पढ़ना"। मेरे नाना ने कहा कि," इस लाइब्रेरी में पुस्तक घर लेकर जाने की इजाजत नहीं है"। उस आदमी ने मेरे नाना से कहा कि," इस किताब को घर लेकर जाओ तुम्हें कोई नहीं रोकेगा, क्योंकि यह किताब का लेखक में ही हूं"। मेरे नाना भी किताब पढ़ने के शौकीन ठहरे वह भी पुस्तक घर लेकर जाने के लिए राजी हो गए।


        वह आदमी और मेरे नाना की अब अच्छी बातचीत हो रही थी। मेरे नाना ने लाइब्रेरियन से कहा कि," भैया 2 कप चाय भेजना"। थोड़े समय बाद वह लाइब्रेरीयन केवल एक कप चाय लेकर आता है। मेरे नाना उससे कहते हैं कि मैंने दो कप चाय मंगाई थी। उस लाइब्रेरियन ने बोला कि,"आप अकेले ही 2 कप चाय पियोगे क्या"? मेरे नाना उसे डांटने ही वाले थे कि उतने मैं उस आदमी ने कहा कि रहने दो मैं वैसे भी चाय नहीं पीता हूं। थोड़ा घंटा पुस्तक पढ़ने के बाद मेरे नाना अब घर जाने वाले थे। मेरे नाना ने उस आदमी को अलविदा कहा और बोला कि," मैं 3 दिन मैं आपको यह किताब पढ़कर वापस दूंगा, आप मुझे यही लाइब्रेरी में मिलना"। ऐसा कहकर मेरे नाना घर जाने के लिए रवाना हो गए।


     मेरे नाना घर आकर सो गए। सुबह उठते ही उन्होंने वह किताब पढ़ना शुरू किया। उस किताब में काफी सारे विज्ञान के अजूबे और चमत्कार के किस्से थे। वह किताब अपने में एक अलग दुनिया थी। उसमें बहुत सारे अजीबो गरीब किस्से थे। मेरे नाना को इतना सब पढ़ कर बहुत चीजों की जानकारी मिली। जब 3 दिन बाद मेरे नाना उस लाइब्रेरी में वापस आए तो उन्हें वह आदमी दिखाई नहीं दिया। मेरे नाना ने लाइब्रेरियन से पूछा कि," आज वह आदमी  नहीं आया क्या जो रोज यहां सर पर टोपी लगाए वैज्ञानिक अनुभाग में बैठता था। और वो दिन मेरे साथ बैठकर किताबें पढ़ रहा था। लाइब्रेरियन ने बहुत हैरान होकर जवाब दिया कि," वैज्ञानिक अनुभाग में तो इतने साल से कोई नहीं गया, यहां पर आपके अलावा और कोई आता भी नहीं है, सब यह लाइब्रेरी में आने से डरते हैं।



      मेरे नाना ने कहा कि," तुम जब चाय लेकर आए थे तो तुमने वह आदमी नहीं देखा क्या? जो मेरे बाजू में बैठा था"। उस लाइब्रेरियन ने कहा कि," साहब वहां पर तो आप अकेले ही बैठ कर बातें कर रहे थे। आपके बाजू में कोई नहीं था। आप अकेले थे, इसलिए मैंने एक कप चाय ही लाया था। मेरे नाना ने उस लाइब्रेरियन से कहा कि, "ऐसा नहीं हो सकता है तुम्हारे आंखों को धोखा हुआ होगा, उस आदमी ने मुझे यह किताब भी पढ़ने को दी थी"। लाइब्रेरियन किताब देखकर बोला कि," यह किताब हमारे लाइब्रेरी की नहीं है"।  मेरे नाना ने उस लाइब्रेरी मैन को किताब में छपी लेखक की तस्वीर बताइए और कहा देखो वह आदमी ऐसा ही दिखता था।



      लाइब्रेरियन ने कहा कि," आपने यह तस्वीर तो देख ली मगर यह नहीं देखा कि यह किताब कौन से साल में छपी थी। यह किताब तो 150 साल पुरानी है इसका लेखक तो अभी तक मर भी चुका होगा।  सच्चाई जानकर मेरे नाना के पसीने छूट गए। और वह फौरन टेबल के कुर्सी पर बैठ गए। लाइब्रेरियन फौरन पानी लेने के लिए दौड़ा। अचानक मेरे नाना को लगा कि उनके पैर पर किसी ने मारा। वह फौरन नीचे झुके, झुक  कर देखने के बाद मेरे नाना हो वही आदमी टेबल के नीचे बैठा हुआ दिखा और वह अपने हाथ आगे करके अपनी किताब वापस मांग रहा था। मेरे नाना ने कांपते हुए उसे किताब वापस लौट आई और वहां से घबराकर निकल गए और दुबारा उस लाइब्रेरी में कभी नहीं गए।




धन्यवाद!


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English translation:-



     My grandfather was very fond of reading books. He often accompanied his friend to every small and large library in the city.  He loved to know the history of the old times.  He always read historical books.  One day a close friend of my grandfather told him that, "There is a library in the nearby town where very old books exist, but that library is as old as books. As the library is deserted, not more people dare to visit that library.


       After listening to all this, my grandfather's eagerness to go to the library had increased.  The next day he left his home to visit the library.  The library looked very deserted from outside, with termites and cracks on the walls.  My grandfather climbed the steps of the library and went inside.  Inside, he saw a vary old man on the counter, calling himself the library's 'librarian'.  My  grandfather asked the librarian, "Where is the section of historical books"?  The librarian said, "go straight and then right".  My  grandfather took out a book from the bookshelf and sat at the table and started reading.



     After reading the book for a while, the librarian brought tea to my  grandfather.  My grandfather thought that while drinking tea he should go around to check the library.  By walking further, my  grandfather came across the session of scientific books.  There was a man sitting on the chair, holding a different glowing book in his hand and was reading it very carefully.  My  grandfather did not talk to the man and came back to his place and started reading his book.  My  grandfather was very much attached to that library.  Library books were not allowed to be taken home.  So my  grandfather used to go to the library every evening to read books.  He used to see the man reading the shiny book every day.


     One day that man was sitting at the table in front of my  grandfather.  My  grandfather asked him, "Brother, you read scientific books every day, how come you are suddenly in the historical section today"?  The man said to my  grandfather, "Can you suggest me some good historical books"?  My grandfather suggested the man to read three famous historical books.  The man thanked my grandfather and gave him that shining book, and told my  grandfather "go home and read this book".  My  grandfather said, "It's not allowed to take books home in this library".  The man said to my  grandfather, "Take this book home and no one will stop you, because I am the author of this book".  My grandfather was also very fond of reading books, he also agreed to take the book home.


     That man and my grandfather were having a good conversation now.  My  grandfather told the librarian, "Brother send 2 cups of tea".  After a while, the librarian brings only one cup of tea.  My  grandfather told him that I had ordered two cups of tea.  The librarian said, "Will you drink 2 cups of tea alone"?  My  grandfather was about to scold the librarian, and that  man said let it be don't shout at him, I don't drink tea anyway.  After reading the books for  few hours, my grandfather was now on his way home.  My grandfather told goodbye to the man and said him, "I will read this book and return to you in 3 days, you please meet me in the same  library". After saying this, my grandfather left to go home.


    My grandfather came home and slept.  He started reading that book as soon as he woke up in the morning.  There was  a lot of science wonders and miracles in that book. There were many strange stories in it.  My grandfather learned so many new things after reading all this.  When 3 days later my grandfather returned to the library, he didn't see that man.  My grandfather asked the librarian, "Didn't that man came today who used to sit here everyday in the scientific section with a cap on his head. And that day he was sitting with me reading books. The librarian replied very surprisingly that," No one had gone to the scientific section for many years, no one comes here other than you, they are afraid of coming to this library.



     My  grandfather said, "When you brought tea, didn't you see that man who was sitting beside me".  The librarian said, "Sir, you were sitting there and talking alone. There was no one beside you. You were alone, so I brought only one cup of tea. My  grandfather told the librarian that,  "It's impossible, your eyes must have been deceived, that man had given me this book to read as well". The librarian, looking at the book, said, "This book is not from our library". My  grandfather told the librarian look at the author's photo in this book this was the same man who was sitting with me.



 The librarian said, "You saw this picture but did not saw in which year this book was printed. This book is 150 years old and its author must have been dead by now. Knowing the truth, my  grandfather got goosebumps and he immediately sat down on the chair beside the table. The librarian immediately ran to bring water. Suddenly my  grandfather felt like someone has hit on his leg. He immediately bent down, after looking down, my grandfather saw  the same man under the table,he was asking for his shining book. My grandfather trembled and returned the book to him and left the library in panic and never went to the library again.





 Thank you!

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